Wednesday, August 26, 2009

भारत में नक्सलवाद

नक्सलवाद कम्यूनिस्ट क्रांतिकारियों के उस आंदोलन का अनौपचारिक नाम है जो भारतीय कम्यूनिस्ट आंदोलन के फलस्वरूप उत्पन्न हुआ. नक्सल शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गाँव नक्सलबाड़ी से हुई है जहाँ भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 मे सत्ता के खिलाफ़ एक सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत की थी. मजूमदार चीन के कम्यूनिस्ट नेता माओत्से तुंग के बहुत बड़े प्रशंसकों में से थे और उनका मानना था कि भारतीय मज़दूरों और किसानों की दुर्दशा के लिये सरकारी नीतियाँ ज़िम्मेदार हैं जिसकी वजह से उच्च वर्गों का शासन तंत्र और परिणामस्वरूप कृषितंत्र पर दबदबा हो गया है और यह सिर्फ़ सशस्त्र क्रांति से ही खत्म किया जा सकता है. 1967 में "नक्सलवादियों" ने कम्यूनिस्ट क्रांतिकारियों की एक अखिल भारतीय समन्वय समिति बनाई, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी से अलग हो गये और सरकार के खिलाफ़ भूमिगत होकर सशस्त्र लड़ाई छेड़ दी. 1971 के आंतरिक विद्रोह (जिसके अगुआ सत्यनारायण सिंह थे) और मजूमदार की मृत्यु के बाद इस आंदोलन की बहुत सी शाखाएँ हो गयीं और आपस में प्रतिद्वंदिता भी करने लगीं. आज कई नक्सली संगठन वैधानिक रूप से स्वीकृत राजनीतिक पार्टी बन गयी हैं और संसदीय चुनावों में भाग भी लेती हैं. लेकिन बहुत से संगठन अब भी छद्म लड़ाई में लगे हुए हैं. नक्सलवाद की सबसे बड़ी मार आँध्र प्रदेश, छत्तीसगढ, उड़ीसा, झारखंड, और बिहार को झेलनी पड़ रही है.

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